WTC,BGT:स्टार्क की घातक गेंदबाज़ी से परेशान ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड में टीम इंडिया की जीत के आसार
मिचेल स्टार्क और हार का अनोखा संयोग
मिचेल स्टार्क, जिन्हें उनकी घातक गेंदबाजी के लिए जाना जाता है, टेस्ट क्रिकेट में अब तक चार बार ऐसा कर चुके हैं जब उन्होंने एक पारी में छह विकेट चटकाए। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन चार मौकों में से तीन बार उनकी टीम ऑस्ट्रेलिया को हार का सामना करना पड़ा है। यह एक अजीब इत्तेफाक है जो बताता है कि स्टार्क की सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत गेंदबाजी का प्रदर्शन टीम के लिए जीत की गारंटी नहीं बन पाया है।
जब भी स्टार्क ने अपनी बेहतरीन गेंदबाजी का जलवा दिखाया, तब ऑस्ट्रेलिया को उम्मीद के विपरीत हार का मुंह देखना पड़ा। यह आंकड़ा न केवल क्रिकेट प्रेमियों के लिए हैरान करने वाला है, बल्कि यह इस खेल की अनिश्चितता और टीम के सामूहिक प्रदर्शन की अहमियत को भी उजागर करता है।
यह सवाल उठता है कि क्या स्टार्क के व्यक्तिगत प्रदर्शन के समय टीम की अन्य इकाइयां—चाहे वह बल्लेबाजी हो या क्षेत्ररक्षण—अपनी भूमिका निभाने में चूक जाती हैं? या फिर यह महज एक संयोग है जो क्रिकेट की रोमांचक और अप्रत्याशित प्रकृति का हिस्सा है?
इस अनोखे आंकड़े को देखकर क्रिकेट प्रशंसक यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या स्टार्क की घातक गेंदबाजी किसी प्रकार का दबाव लेकर आती है, जो उनकी टीम पर उल्टा असर डालती है। अब देखना यह होगा कि भविष्य में मिचेल स्टार्क के शानदार प्रदर्शन के दौरान क्या ऑस्ट्रेलिया इस संयोग को तोड़ पाएगा या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।
मिचेल स्टार्क: घातक गेंदबाज, पर जीत से दूर ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने एक बार फिर अपनी जबरदस्त गेंदबाजी से क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट मैच में स्टार्क ने 6 विकेट चटकाकर भारतीय टीम को महज 180 रनों पर समेट दिया। उनकी धारदार गेंदबाजी ने जहां क्रिकेट प्रशंसकों को हैरान कर दिया, वहीं एक बार फिर यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्यों उनके बेहतरीन व्यक्तिगत प्रदर्शन के बावजूद उनकी टीम अक्सर जीत से महरूम रह जाती है।
मिचेल स्टार्क का रिकॉर्ड दिखाता है कि टेस्ट क्रिकेट में अब तक वह चार बार एक पारी में छह विकेट लेने का कारनामा कर चुके हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन चार में से तीन मौकों पर ऑस्ट्रेलिया को हार का सामना करना पड़ा। यह आंकड़ा किसी भी क्रिकेट प्रशंसक को सोचने पर मजबूर कर देता है। सिर्फ 2019 में एडिलेड ओवल पर पाकिस्तान के खिलाफ उनकी शानदार गेंदबाजी का फायदा टीम को जीत के रूप में मिला था। बाकी मौकों पर उनकी घातक गेंदबाजी के बावजूद ऑस्ट्रेलिया जीत का स्वाद चखने में नाकाम रहा।
यह स्थिति इस खेल की जटिलता और टीम प्रयास की अहमियत को उजागर करती है। स्टार्क जैसे खिलाड़ी, जो अपनी तीव्रता और सटीकता के लिए जाने जाते हैं, अक्सर अकेले दम पर मैच का रुख बदलने का माद्दा रखते हैं। लेकिन यह भी सच है कि क्रिकेट सिर्फ व्यक्तिगत प्रदर्शन पर निर्भर नहीं करता, बल्कि यह एक टीम गेम है जिसमें सभी खिलाड़ियों का योगदान महत्वपूर्ण होता है।
स्टार्क के इन शानदार प्रदर्शनों के दौरान टीम के अन्य विभाग—चाहे वह बल्लेबाजी हो, फील्डिंग हो या रणनीतिक निर्णय—कहीं न कहीं कमजोर पड़ते नजर आए। यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या उनका बेहतरीन प्रदर्शन टीम पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे बाकी खिलाड़ी अपनी भूमिका में चूक कर जाते हैं?
यह अजीब इत्तेफाक क्रिकेट की अनिश्चितता और इसके रोमांच को दर्शाता है। अब देखना यह है कि भविष्य में मिचेल स्टार्क के शानदार प्रदर्शन के दौरान ऑस्ट्रेलिया इस सिलसिले को तोड़ पाती है या नहीं। आइए, अब उन मैचों पर नजर डालें जब स्टार्क की घातक गेंदबाजी के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को हार का मुंह देखना पड़ा।
2012 पर्थ टेस्ट: स्टार्क का शानदार प्रदर्शन, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की करारी हार
2012 में पर्थ में खेले गए टेस्ट मैच में मिचेल स्टार्क ने अपनी तेज गेंदबाजी का जलवा बिखेरा, लेकिन उनके बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को हार का सामना करना पड़ा। यह मैच साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला गया था, और इसका नतीजा ऑस्ट्रेलिया के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुआ।
पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने शानदार शुरुआत की। साउथ अफ्रीकी टीम को केवल 225 रनों पर ढेर कर दिया गया। ऐसा लगा कि ऑस्ट्रेलिया मैच में अपनी पकड़ मजबूत कर लेगा। हालांकि, जब ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मैदान पर उतरे, तो उनकी परफॉर्मेंस ने सभी को निराश किया। पूरी टीम केवल 163 रन बनाकर पवेलियन लौट गई। इस नतीजे ने साउथ अफ्रीका को न केवल मैच में वापसी का मौका दिया बल्कि ऑस्ट्रेलिया को भारी दबाव में भी डाल दिया।
दूसरी पारी में साउथ अफ्रीका ने जबरदस्त बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए 569 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। ऑस्ट्रेलिया के लिए यह स्थिति और कठिन हो गई। हालांकि, इस दौरान मिचेल स्टार्क की गेंदबाजी ने सबका ध्यान खींचा। उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए 6 विकेट चटकाए और 154 रन दिए। उन्होंने साउथ अफ्रीका के प्रमुख बल्लेबाजों जैसे जैक्स कैलिस और एबी डिविलियर्स को भी पवेलियन भेजा। यह उनके टेस्ट करियर का एक यादगार प्रदर्शन था।
लेकिन स्टार्क की यह मेहनत टीम के काम नहीं आ सकी। ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 632 रनों का लक्ष्य मिला, जो पहले से ही असंभव सा लग रहा था। उनकी बल्लेबाजी फिर से लड़खड़ा गई, और साउथ अफ्रीका ने इस मैच को 309 रनों के बड़े अंतर से जीत लिया। इस हार ने स्टार्क के शानदार प्रदर्शन को फीका कर दिया।
पर्थ टेस्ट का यह मैच क्रिकेट की उस क्रूर सच्चाई को उजागर करता है कि कभी-कभी व्यक्तिगत उत्कृष्टता भी टीम की हार को टाल नहीं पाती। मिचेल स्टार्क ने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की, लेकिन क्रिकेट, जो एक टीम गेम है, उसमें बाकी खिलाड़ियों का योगदान भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। इस मैच ने न केवल साउथ अफ्रीका की ताकत को दिखाया, बल्कि यह भी साबित किया कि अकेला खिलाड़ी टीम को जीत की ओर नहीं ले जा सकता।
2015 एशेज: नॉटिंघम में स्टार्क का दमदार प्रदर्शन, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की करारी हार
2015 की प्रतिष्ठित एशेज सीरीज का चौथा टेस्ट मैच नॉटिंघम के ऐतिहासिक मैदान पर खेला गया। इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने अपनी शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन करते हुए विपक्षी बल्लेबाजों को खूब परेशान किया। हालांकि, उनके बेहतरीन प्रयासों के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को इस मैच में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।
इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 391 रनों का स्कोर खड़ा किया। उनकी पारी को रोकने में मिचेल स्टार्क ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने शानदार गेंदबाजी करते हुए 111 रन देकर 6 विकेट चटकाए। उनकी गेंदों में वह धार थी जिसने इंग्लैंड के बल्लेबाजों को पिच पर टिकने का मौका नहीं दिया। उन्होंने सटीक यॉर्कर्स और स्विंग से बल्लेबाजों को लगातार मुश्किल में डाला। इस पारी में स्टार्क ने इंग्लैंड के प्रमुख बल्लेबाजों को आउट कर टीम के लिए वापसी की उम्मीदें जगा दीं।
लेकिन ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज इस प्रदर्शन का फायदा नहीं उठा सके। पहली पारी में पूरी टीम केवल 60 रन पर ढेर हो गई, जो एशेज के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे खराब स्कोरों में से एक था। इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी क्रम को तहस-नहस कर दिया, और टीम गहरे संकट में आ गई।
दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने बेहतर प्रदर्शन की कोशिश की लेकिन बड़े अंतर को पार नहीं कर सकी। उनकी पूरी टीम सिर्फ 253 रन बनाकर ऑल आउट हो गई, जिससे इंग्लैंड ने यह मैच पारी और 78 रनों से अपने नाम कर लिया।
मिचेल स्टार्क का इस मैच में प्रदर्शन अविस्मरणीय था। उन्होंने पूरे मैच में अपनी गेंदबाजी से यह साबित कर दिया कि वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक हैं। लेकिन क्रिकेट एक टीम गेम है, और उनके साथी खिलाड़ी, खासकर बल्लेबाज, इस मैच में पूरी तरह विफल रहे।
इस हार के बाद स्टार्क का प्रदर्शन चर्चा का विषय बन गया। वह पूरे सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के सबसे भरोसेमंद गेंदबाजों में से एक थे, लेकिन टीम की लगातार खराब बल्लेबाजी ने उनके प्रयासों को बेकार कर दिया। नॉटिंघम का यह टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के लिए सिर्फ हार ही नहीं, बल्कि आत्मचिंतन का मौका भी था। यह दिखाता है कि केवल व्यक्तिगत उत्कृष्टता टीम को जीत की ओर नहीं
ले जा सकती।
2016: गाले टेस्ट में स्टार्क का शानदार प्रदर्शन, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की करारी हार
2016 में श्रीलंका के गाले में खेले गए टेस्ट मैच में मिचेल स्टार्क ने अपनी अद्भुत गेंदबाजी का प्रदर्शन किया और श्रीलंकाई बल्लेबाजों को बार-बार पवेलियन लौटने पर मजबूर किया। हालांकि, उनकी इस अविश्वसनीय मेहनत के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया को इस मुकाबले में करारी हार झेलनी पड़ी। यह मैच स्टार्क के करियर के सबसे शानदार प्रदर्शनों में गिना जाता है, लेकिन टीम की हार ने उनके प्रयासों को व्यर्थ कर दिया।
गाले की टर्निंग पिच पर यह टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। पहली पारी में श्रीलंका ने 281 रन बनाए, जो गाले जैसी पिच पर एक मजबूत स्कोर था। जवाब में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्पिन के जाल में फंस गए और उनकी पारी केवल 106 रनों पर सिमट गई। इस बड़ी बढ़त के साथ श्रीलंका ने दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया पर और दबाव बना दिया।
हालांकि, मिचेल स्टार्क ने इस दबाव के बीच अपनी घातक गेंदबाजी से खेल को रोचक बना दिया। दूसरी पारी में उन्होंने मात्र 13 ओवर में 6 विकेट चटकाए और केवल 50 रन दिए। उनकी रफ्तार, सटीकता और स्विंग ने श्रीलंकाई बल्लेबाजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। मैच में स्टार्क ने कुल 11 विकेट हासिल किए, जो उनके टेस्ट करियर का एक यादगार प्रदर्शन था।
लेकिन क्रिकेट सिर्फ गेंदबाजी पर नहीं, बल्कि बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण पर भी निर्भर करता है। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में भी बल्लेबाज बुरी तरह फेल हो गए। उन्हें 413 रनों का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन पूरी टीम केवल 183 रन पर ढेर हो गई। इस तरह श्रीलंका ने यह मुकाबला 229 रनों के बड़े अंतर से जीत लिया।
स्टार्क का प्रदर्शन किसी भी गेंदबाज के लिए गर्व की बात थी। उन्होंने अकेले दम पर श्रीलंकाई बल्लेबाजी क्रम को तहस-नहस कर दिया। लेकिन टीम का कमजोर प्रदर्शन, खासकर बल्लेबाजी में, उनकी मेहनत पर पानी फेर गया। गाले टेस्ट यह दिखाने के लिए पर्याप्त था कि क्रिकेट में व्यक्तिगत प्रदर्शन कितना भी अच्छा क्यों न हो, टीम के सामूहिक प्रयास के बिना जीत संभव नहीं।
इस हार ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को यह एहसास कराया कि एशियाई पिचों पर खेलने के लिए सिर्फ तेज गेंदबाजी ही नहीं, बल्कि स्पिन के खिलाफ तकनीकी और मानसिक मजबूती भी जरूरी है। स्टार्क की इस मैच में मेहनत आज भी याद की जाती है, लेकिन यह एक और उदाहरण है जब उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन टीम के लिए नतीजा नहीं बदल पाया।
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