Rajasthan Vidhansabha : राजस्थान विधानसभा के चौंकाने वाले आंकड़े 2023
आज हम हमारी इस पोस्ट में बात करेंगे राजस्थान की अनेक विधानसभा सीटों की जिसमें हमने एक सीरीज स्टार्ट की है इस सीरीज को हमने राजस्थान विधानसभा सीरीज का शीर्षक दिया है |
आज हम हमारी इस सीरीज के अंदर विधानसभा नंबर 1 जोकि पिलानी विधानसभा क्षेत्र है जो झुंझुनू जिले के अंतर्गत आता है |
पिलानी विधानसभा में कुल 24 ग्राम पंचायत और तीन नगरपालिका हैं |
पिलानी विधानसभा क्षेत्र में किसी भी विशेष प्रकार की जाति का कोई बाहुल्य नहीं है, परंतु यह झुंझुनू जिले के अंतर्गत होने के कारण यह जाट बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है | पिलानी विधानसभा में कुल 226768 मतदाता है |
अगर पिलानी विधानसभा के इतिहास की बात की जाए तो यह विधानसभा राजस्थान परिसीमन 1952 के बाद गठन में आई |
इस विधानसभा में पहला चुनाव 1952 में हुआ
1952 में यहां से पहली मर्तबा विधायक हजारीलाल सिंह जी बने जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार थे |
इसके बाद अगला चुनाव 1957 में हुआ 1957 में यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला उम्मीदवार सुमित्रा सिंह ने चुनाव लड़ा और एक बार फिर यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया |
1962 में हजारीलाल का कांग्रेस से टिकट कटने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और यहां से जीत हासिल की |
1967 में यहां से एम सी कटेवा ने स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ा और विधायक बने |
1972 में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक श्रीमान शीशराम जी ओला ने चुनाव लड़ा और वह विधायक बने |
1977 में कांग्रेस ने एक बार अपने कद्दावर नेता शीशराम जी ओला पर फिर से विश्वास जताया और वह एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विधायक बने |
1980 में हजारीलाल ने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा और वह विधायक बने |
1980 के बाद 1985 में अगला चुनाव हुआ और इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सुमित्रा सिंह पार्टी छोड़ लोक दल में शामिल हुई और उन्होंने ऐसे विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की |
1990 में सुमित्रा सिंह ने लोकदल को छोड़ जनता दल जो कि वर्तमान में बीजेपी के नाम से जानी जाती है उसे ज्वाइन किया और विधायक बनी |
इसके बाद 1993 में निर्दलीय उम्मीदवार सरवण कुमार ने जीत हासिल की |
1998 में सरवण कुमार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ज्वाइन की और उन्हें कांग्रेस पार्टी से विधायक का टिकट मिला और उन्होंने जीत हासिल की |
2003 में सरवन कुमार को फिर से एक बार भारतीय कांग्रेस पार्टी से विधायक का टिकट मिला और उन्होंने अपने विपक्षी उम्मीदवार मूल सिंह शेखावत को लगातार दूसरी बार मात दी |
2008 में यह सीट एससी एसटी कोटे के अंतर्गत आने के कारण यहां से बीजेपी ने सुंदरलाल ढोलकिया जोकि ताऊ के नाम से फेमस है पिलानी तहसील में उन्हें टिकट दिया और यहां से भारतीय जनता पार्टी का पहली बार खाता खुला |
ताऊ सुंदरलाल ने 2013 में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी से टिकट लिया और फिर एक बार विधायक बने |
भारतीय जनता पार्टी के नियम अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति 75 वर्ष से ऊपर हो जाता है तो पार्टी उस व्यक्ति को टिकट नहीं देती है इसी कारण ताऊ सुंदरलाल को टिकट नहीं मिलने की वजह उनके पुत्र कैलाश मेघवाल को 2018 टिकट मिली और लगातार दो बार की एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए और कांग्रेस की पूरे प्रदेश भर में लहर के कारण यहां से कैलाश मेघवाल को हार का सामना करना पड़ा और उनके विपक्षी उम्मीदवार पूर्व आईएएस ऑफिसर जेपी चंदेलिया पिलानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने |
अब जैसे-जैसे 2023 का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे ही खिलाड़ी विधानसभा क्षेत्र में भी राजनीतिक सरजमी गरमाई हुई है | बड़े बुजुर्ग और इस विधानसभा क्षेत्र के नौजवान साथी सभी के बीच में बस एक ही चीज की चर्चा है, वह है विधानसभा चुनाव और यह भी देखना दिलचस्प होगा कि इस बार दोनों पार्टि किस व्यक्ति को टिकट देंगे और किस नहीं देगी और जिसे भी पार्टी टिकट देगी वह ज़िता उम्मीदवार है, कि नहीं |
इस बार 2023 में कांग्रेस पार्टी से संभावित चेहरे वर्तमान विधायक जेपी चंदेलिया जो कि अपने काम को लेकर जनता के बीच जाएंगे और कांग्रेस पार्टी से दूसरे संभावित चेहरे मास्टर रामस्वरूप जिनकी गांव मोहल्ला और व्यक्तियों से अच्छी पकड़ है, उन्हें भी कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने की आशंका है दूसरी ओर सत्ता में वापसी करने के लिए व्याकुल भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना कैंडिडेट घोषित नहीं किया है | परंतु भारतीय जनता पार्टी की टिकट के दावेदार पूर्व विधायक के पुत्र और पूर्व विधायक प्रत्याशी कैलाश मेघवाल जो कि भारतीय जनता पार्टी के पिलानी विधानसभा से कद्दावर नेता है उन्हें टिकट मिलने की आशंका है |
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के खिलाड़ी तहसील के अध्यक्ष राजेश जी दया को भी टिकट मिलने की संभावना है, अब देखना यह होगा कि दोनों पार्टियों किस कैंडिडेट को अपनी अपनी टिकट देती है और कौन सी पार्टी यहां से विजय हासिल करेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा |
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