Rajasthan Budget: केंद्र सरकार की तरह राजस्थान सरकार भी शिक्षा व्यवस्था पर ” 0 ” बजट, सरकार का शिक्षा व्यवस्था पर बिल्कुल ध्यान नहीं
केंद्र की तर्ज पर राजस्थान सरकार का प्रदेशवासियों को बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर ” 0 ” बजट :- संयुक्त अभिभावक संघ
— ना आरटीई में संशोधन, ना फीस एक्ट की पालना, ना शिक्षकों की भर्ती कैसे हो शिक्षा व्यवस्था में सुधार, कैसे मिले गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा – अभिषेक जैन बिट्टू
जयपुर- 1 फरवरी को केंद्र सरकार ने देश का अंतरिम बजट पेश किया था उस बजट में भी अभिभावकों को निराशा हाथ लगी थी किंतु आशा थी की राजस्थान सरकार प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक अभिभावकों का ध्यान रखेगी और प्रदेश के बजट में उनकी उपयोगिताओ को अहमियत देगी लेकिन गुरुवार को जारी राज्य सरकार के अंतरिम बजट में भी केंद्र की तर्ज पर राज्य सरकार ने प्रदेश की बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर ” 0 ” बजट पेश कर यह साबित कर दिया की सरकार का शिक्षा व्यवस्था पर बिल्कुल भी ध्यान नही है यह कहना है|
अभिभावकों के प्रमुख समूह संयुक्त अभिभावक संघ का। संघ का कहना है की प्रदेश में अभिभावकों की बहुत बड़ी संख्या है जिनके बच्चे शिक्षा से वंचित चल रहे है एक ऐसी संख्या है जो स्कूलों की मनमानी से त्रस्त चल रहे है और एक ऐसी संख्या है जो शिक्षकों के अभाव से जूझ रहे है। किंतु राजस्थान सरकार ने अभिभावकों के मुद्दो पर चुप्पी साधकर साबित कर दिया है प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था तो केवल राम भरोसे है।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की प्रदेश का अभिभावक चाहता था की सरकार सख्ती के साथ आरटीई (राइट टू एजुकेशन) की पालना करवाए जिससे जरूरतमंद और गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा का लाभ मिल सके, निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए ” फीस एक्ट – 2016-17 ” की पालना सुनिश्चित करवाएं जिससे अभिभावकों को उनका अधिकार मिल सके, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 15 हजार शिक्षकों का अभाव है विगत काफी वर्षों से भर्तियां नही हो रही है
जिसके चलते लाखों बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे है किंतु सरकार ने बच्चों के बेहतर भविष्य को सवारने की बजाय नरक में धकेलने का कार्य किया है। प्रदेश का अंतरिम बजट पूरी तरह से शिक्षा विरोधी बजट है, अभिभावकों और विद्यार्थियों के खिलाफ है।
अंतरिम बजट में ना ड्रेस कोर्ड का जिक्र ना स्कूलों में बच्चियों की सुरक्षा का कोई प्रावधान – अरविंद अग्रवाल
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की राजधानी जयपुर में स्कूलों की ड्रेस कोर्ड को लेकर बहुत राजनीति देखने को मिली, तब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूलों में सख्त होकर एक सामान ड्रेस कोड की बात कही थी, पालना नही करने वाले विद्यार्थियों को स्कूलों में प्रवेश निषेध की बात कही थी, किंतु गुरुवार के अंतरिम बजट में कही भी स्कूलों के ड्रेस कोर्ड का कोई जिक्र तक नहीं किया गया, साथ ही विगत कुछ वर्षों से सामने आ रहा है की स्कूलों के शिक्षक ही भक्षक हो गए है |
जो बच्चियों को डरा-धमका कर उनके साथ छेड़छाड़ करते है, दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देते है जिस पर सरकार को सख्त रवैया अपनाना चाहिए था किंतु सरकार ने बच्चियों की सुरक्षा व्यवस्था जैसे अहम मसले पर अपने अंतरिम बजट में कोई प्रावधान नहीं किया, जिससे साफ जाहिर होता है की सरकार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की कोई मंशा है और ना ही अभिभावकों व विद्यार्थियों को न्याय दिलवाने की कोई योजना है, यह बजट केवल दिखावा है, लोकसभा चुनावों की तैयारी और मार्केटिंग है।
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