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The politics of Rajasthan:अशोक गहलोत का PKC-ERCP पर सवाल: पीएम के दौरे से पहले सरकार को जवाब देने की सलाह

Uma Rajgarharia

The politics of Rajasthan:अशोक गहलोत का PKC-ERCP पर सवाल: पीएम के दौरे से पहले सरकार को जवाब देने की सलाह

PKC-ERCP Initiative: अशोक गहलोत ने कहा, अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पहली बार ऐसा देख रहा हूं कि दो सरकारों के बीच हुए समझौते को पूरी तरह गुप्त रखा गया है। आम जनता को इससे संबंधित किसी भी जानकारी से वंचित रखा जा रहा है। यह स्थिति न केवल असामान्य है, बल्कि पारदर्शिता के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ भी है। जनता का यह जानना अधिकार है कि सरकारें उनके हित से जुड़े मुद्दों पर क्या निर्णय ले रही हैं।

News from Rajasthan: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार सुबह जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP) पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि भजनलाल सरकार इस योजना से जुड़े समझौते को गुप्त रख रही है, जबकि इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। गहलोत ने कहा कि दो राज्यों की सरकारों के बीच हुए इस करार को अब तक जनता के सामने नहीं लाया गया है, जो पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ है।

उन्होंने पूछा कि क्या जनता को यह जानने का हक नहीं है कि इस महत्वपूर्ण परियोजना में क्या समझौते हुए हैं? गहलोत ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिन बाद राजस्थान दौरे से पहले बीजेपी सरकार को इस मामले पर कोई ठोस निर्णय लेना चाहिए और जनता को इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने इसे जनता के अधिकारों और सूचनाओं की पारदर्शिता से जुड़ा मुद्दा बताया।

क्या राजस्थान के हित सुरक्षित हैं?

कांग्रेस नेता ने सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने ईआरसीपी का नाम बदलकर अब पीकेसी-ईआरसीपी कर दिया है। इस नई परियोजना के तहत मध्य प्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच एक ताजा समझौता हुआ है। उन्होंने पूछा कि इस नए करार से राजस्थान की जनता को क्या लाभ मिलने वाला है? क्या यह समझौता राज्य के हितों की रक्षा करेगा, या इसका फायदा अधिकतर मध्य प्रदेश को होगा?

नेता ने आगे कहा कि यह जनता का अधिकार है कि उन्हें इस समझौते के विवरण के बारे में जानकारी हो। उन्होंने यह भी आश्चर्य जताया कि बार-बार मांग करने के बावजूद राज्य सरकार ने इस समझौते को सार्वजनिक नहीं किया है। यह पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है और जनता के हितों पर सवाल खड़े करता है। उनके मुताबिक, यह जानना बेहद जरूरी है कि इस परियोजना से राजस्थान को असल में क्या हासिल होगा।

गहलोत ने पीकेसी-ईआरसीपी पर उठाए सवाल

1. पूर्व चर्चा:

अशोक गहलोत ने बताया कि जब वे राजस्थान के मुख्यमंत्री थे, तब भी इस योजना पर चर्चा हुई थी। लेकिन उन्होंने राज्य के हितों को ध्यान में रखते हुए इसे मंजूरी नहीं दी थी।

2. योजना का नाम बदलना:

गहलोत ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर पीकेसी-ईआरसीपी कर दिया और इसके तहत एक नया समझौता कर लिया।

3. किसानों की अनदेखी:

उन्होंने जानकारी दी कि नई योजना में किसानों के लिए सिंचाई का कोई प्रावधान नहीं है।

  • योजना अब केवल पीने के पानी तक सीमित है।
  • पहले की ईआरसीपी योजना में सिंचाई का प्रावधान शामिल था।

4. गुप्त समझौता:

गहलोत ने सवाल किया कि सरकार ने इस नए समझौते को गुप्त क्यों रखा है।

  • उन्होंने इसे जनता के हितों के खिलाफ और पारदर्शिता की कमी बताया।
  • कहा कि यह पहली बार है जब सरकारों के बीच हुए समझौते जनता से छिपाए जा रहे हैं।

5. जनता का अधिकार:

गहलोत ने जोर देकर कहा कि ऐसे समझौते सार्वजनिक होने चाहिए क्योंकि ये जनता से जुड़े होते हैं। उन्होंने इसे “पब्लिकप्रॉपर्टी” का दर्जा दिया।

देरी से बढ़ी लागत का जिम्मेदार कौन?

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रिफाइनरी प्रोजेक्ट और ERCP योजना में देरी को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में उनकी सरकार ने यूपीए सरकार के साथ मिलकर राजस्थान में रिफाइनरी प्रोजेक्ट लाने का कार्य किया था। उस समय इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास भी किया गया था।

लेकिन 2013 के बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और नई सरकार ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को 5 साल तक ठंडे बस्ते में डाल दिया। गहलोत के अनुसार, जब चुनाव नजदीक आए, तो सरकार ने राजनीतिक लाभ उठाने के लिए हड़बड़ी में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया।

परिणामस्वरूप:

  • जो प्रोजेक्ट पहले 40 हजार करोड़ रुपये में पूरा हो सकता था, उसकी लागत अब 80 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
  • इतना ही नहीं, अभी तक भी इस प्रोजेक्ट का कार्य पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है।

गहलोत ने ERCP योजना पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि यह योजना शुरुआत में 38 हजार करोड़ रुपये की थी, लेकिन देरी और अनदेखी के कारण इसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है।

मुख्य सवाल: गहलोत ने जनता के सामने यह सवाल रखा कि इन प्रोजेक्ट्स में हुई देरी और लागत में हुई बढ़ोतरी का जिम्मेदार आखिर कौन है? उन्होंने इसे न केवल राज्य के संसाधनों की बर्बादी बताया, बल्कि जनता के साथ एक बड़ी अन्याय भी करार दिया।

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