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एकादशी के दिन गलती से भी न करे चावल का सेवन, इसमें छिपे होते है सारे पाप, जानिए पूरी कथा

इस बार निर्जला एकादशी 18 जून को पड़ रही है इस व्रत के दिन क्यों चीजें ऐसी है जिन्हें खाने की शख्त मनाही है, इस दिन चावल नहीं खाया जाता है ऐसा क्यों है तो आइए जान लेते है इससे जुड़ी जानकारी जान लेते है।

आपको बता दे, एकदशी का जन्म उत्पन्ना एकादशी पर हुआ था। एकादशी एक देवी थी जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था उन्होंने असुरों का अंत करने के लिए भगवान विष्णु की मदद की। इस पर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा, इस पर कन्या ने कहा कि अगर कोई मनुष्य मेरा उपवास करे तो उसके सारे पापों का नाश हो जाए और उसे विष्णु लोक मिले। इस पर भगवान ने इस कन्या को वरदान दिया और एकादशी नाम दिया। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते जाते है और उन्हें विष्णु लोक मिलता है।

एकादशी के दिन क्यों नहीं खाते चावल

जब विष्णु जी एकादशी से सभी पापों को नष्ट करने के लिए कहा तो एकादशी के सभी पाप नष्ट हो गए लेकिन कुछ पाप चावल में छिप गए। इससे नाराज एकादशी ने चावल को श्राप दिया कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाएगा। ऐसे में माना जाता है कि एकादशी के दिन सभी पाप चावल में होते है इस दिन चवाल बनाने की मनाही होती है।

अगले दिन चावल खाकर ही करे पारण

एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता है लेकिन जो लोग इस व्रत रखते है उन्हें अगले दिन व्रत का पारण चावल खाकर ही करना चाहिए। तभी आपका व्रत पूर्ण होता है। आपको बता दे, एकादशी व्रत के नियम का पालन दशमी की शाम से शुरू कर देना चाहिए। इसके बाद द्वादशी को सुबह इस व्रत को खोलना चाहिए।

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