crossorigin="anonymous">

मेवाड़ के प्राचीन राजपरिवार में तनाव: बेटे ने अपने पिता के खिलाफ किया कानूनी मुकदमा जानें यह 40 साल पुराना मामला क्या है।

Uma Rajgarharia
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

मेवाड़ के प्राचीन राजपरिवार में तनाव: बेटे ने अपने पिता के खिलाफ किया कानूनी मुकदमा! जानें यह 40 साल पुराना मामला क्या है।

मेवाड़ रॉयल फैमिली की संपत्ति विवाद: इस विवाद की शुरुआत 1984 में हुई, जब विश्वराज सिंह ने अपने पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की थी। उन्होंने अपने दादा महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ केस दर्ज कराया था।

Udaipur: “पूरब का वेनिस” कहे जाने वाले उदयपुर और महाराणा प्रताप के वंशजों का शाही परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है, और इसकी वजह है परिवार के अंदर संपत्ति को लेकर चल रहा विवाद। दरअसल, मेवाड़ के अंतिम महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ का 10 नवंबर को निधन हो गया था। इसके बाद, 25 नवंबर को उनके इकलौते बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ का पगड़ी दस्तूर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

चित्तौड़गढ़ किले में एक पारंपरिक समारोह में उनका राजतिलक हुआ। इसके बाद, उन्हें उदयपुर स्थित सिटी पैलेस और एकलिंगजी मंदिर में धूणी और दर्शन के लिए जाना था। लेकिन इन दोनों स्थानों पर ऐसे किसी भी कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई। इन स्थानों का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए अनधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस घोषणा के बाद ही विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

विश्वराज सिंह मेवाड़: राजपरिवार में घमासान की शुरुआत

यह विवाद मेवाड़ के पूर्व शाही परिवार के बीच संपत्ति को लेकर उत्पन्न हुआ है। दरअसल, 1930 से 1955 तक मेवाड़ के महाराणा रहे भूपाल सिंह का कोई संतान नहीं था। भूपाल सिंह और उनकी पत्नी वीरद कुंवर ने परिवार के सदस्य प्रताप सिंह के बेटे भगवत सिंह को गोद लिया था। भगवत सिंह के परिवार में दो बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह के साथ एक बेटी योगेश्वरी भी थीं।

भगवत सिंह मेवाड़ और संपत्ति विवाद की शुरुआत

संपत्ति विवाद की शुरुआत 1984 में हुई, जब विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ ने अपने परिवार के भीतर एक गंभीर कानूनी कदम उठाया। महेंद्र सिंह ने अपने पिता, महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। इस कदम से भगवत सिंह मेवाड़ काफी नाराज हो गए और उन्होंने अपनी वसीयत में बड़ा बदलाव किया।

भगवत सिंह ने अपनी संपत्तियों और ट्रस्ट के प्रबंधन का जिम्मा अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंप दिया, जबकि महेंद्र सिंह को इस वसीयत और संपत्ति के प्रबंधन से बाहर कर दिया। इस फैसले ने परिवार के भीतर गहरे मतभेदों को जन्म दिया और संपत्ति को लेकर कानूनी संघर्ष की नींव रख दी। इसके बाद, यह विवाद और अधिक बढ़ा, जिससे मेवाड़ के पूर्व शाही परिवार के बीच संपत्ति संबंधी लड़ाई का सिलसिला शुरू हो गया, जो अब तक जारी है।

यह कदम और उसके बाद के घटनाक्रम ने न सिर्फ परिवार के अंदर दरार डाली, बल्कि पूरे राजघराने में गंभीर विवादों की शुरुआत कर दी, जो आज तक विभिन्न कानूनी मामलों और अदालतों में जारी हैं।

संपत्ति विवाद की शुरुआत 1984 में हुई, जब विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता, महेंद्र सिंह मेवाड़, ने अपने पिता महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। इस कानूनी कदम से भगवत सिंह मेवाड़ बहुत आहत हुए और उन्होंने इस मामले को लेकर कड़ा निर्णय लिया। अपने बेटे के खिलाफ मुकदमा दायर करने से नाराज होकर, भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में महत्वपूर्ण बदलाव किया। उन्होंने अपनी संपत्तियों और परिवार की ट्रस्ट की जिम्मेदारी अपने छोटे बेटे, अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंप दी।

भगवत सिंह का यह कदम महेंद्र सिंह के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि उन्हें संपत्ति और ट्रस्ट से बाहर कर दिया गया। यह कदम न केवल परिवार के अंदर असहमति का कारण बना, बल्कि यह संपत्ति के विवाद को कानूनी रूप से और अधिक जटिल बना गया। यहीं से मेवाड़ के पूर्व शाही परिवार के बीच संपत्ति के अधिकारों को लेकर एक लंबी और कठिन कानूनी लड़ाई का सिलसिला शुरू हुआ, जो आज भी विभिन्न अदालतों में चल रहा है।

इस घटनाक्रम ने परिवार के भीतर गहरे मतभेदों और व्यक्तिगत रंजिशों को जन्म दिया, जिससे शाही परिवार के सदस्यों के बीच रिश्तों में दरारें आ गईं। यही विवाद अब तक एक बड़ी कानूनी लड़ाई में तब्दील हो चुका है, जो मेवाड़ राजपरिवार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

अरविंद सिंह मेवाड़ और संपत्ति विवाद का कोर्ट निर्णय

महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ का निधन 3 नवंबर 1984 को हुआ, और इसके बाद से ही मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के बीच संपत्ति को लेकर एक लंबा और पेचीदा कानूनी संघर्ष शुरू हो गया। इस मामले में कुल 37 सालों तक सुनवाई चलने के बाद, 2020 में उदयपुर की जिला अदालत ने एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाला फैसला सुनाया।

अदालत ने इस दौरान यह स्पष्ट किया कि उन संपत्तियों का दावा नहीं किया जा सकता जो भगवत सिंह ने अपनी ज़िंदगी में पहले ही बेच दी थीं। इसका मतलब यह था कि उन संपत्तियों को विवाद से बाहर कर दिया गया था। इस निर्णय के बाद, केवल तीन संपत्तियाँ ही विवाद में रह गईं – शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर। इन तीन संपत्तियों को अब अदालत ने चार बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

कोर्ट के फैसले के अनुसार, प्रत्येक हिस्सेदार को संपत्ति का एक चौथाई हिस्सा दिया गया। इनमें से एक चौथाई हिस्सा भगवत सिंह के परिवार के पास रहा, जबकि एक चौथाई हिस्सा उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ को मिला। एक चौथाई हिस्सा भगवत सिंह की बेटी योगेश्वरी को दिया गया, और एक चौथाई हिस्सा छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंपा गया। इस फैसले ने न केवल मेवाड़ राजपरिवार के बीच संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद को एक दिशा दी, बल्कि यह भी तय किया कि इन संपत्तियों का किसके पास और कैसे बंटवारा होगा।

यह कोर्ट का निर्णय मेवाड़ परिवार में चल रहे लंबे कानूनी संघर्ष का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जो अब तक कई दावों और विरोधों के बीच एक स्थिर समाधान की ओर बढ़ रहा है।

कोर्ट का निर्णय और हाईकोर्ट में मामला पहुंचना

उदयपुर की जिला अदालत ने 2020 में संपत्ति विवाद के मामले में एक और महत्वपूर्ण आदेश दिया। अदालत ने यह तय किया कि शंभू निवास पैलेस पर 1 अप्रैल 2021 से एक नया नियम लागू किया जाएगा, जिसके तहत तीन प्रमुख परिवारिक सदस्य – महेंद्र सिंह मेवाड़, योगेश्वरी देवी और अरविंद सिंह मेवाड़ – को संपत्ति में रहने का अधिकार मिलेगा, और यह निवास चार-चार साल के अंतराल पर विभाजित किया जाएगा।

अदालत ने कहा कि अरविंद सिंह मेवाड़ ने पहले ही शंभू निवास में 35 साल का समय गुजार लिया था, इसलिए अब 1 अप्रैल 2021 से चार साल के लिए महेंद्र सिंह मेवाड़ को शंभू निवास में रहने का अधिकार मिलेगा, और फिर इसके बाद अगले चार साल के लिए योगेश्वरी देवी को यह अधिकार मिलेगा। इस फैसले के तहत, इन तीनों को इस संपत्ति में बारी-बारी से रहने का समय दिया गया, ताकि संपत्ति का उपयोग उनके बीच उचित रूप से बांटा जा सके।

साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इन संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग अब नहीं किया जा सकता। इस आदेश के बाद, शंभू निवास, घास घर और बड़ी पाल पर किसी भी प्रकार के व्यावसायिक कार्यक्रम या अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी। इसका उद्देश्य यह था कि इन ऐतिहासिक संपत्तियों का उपयोग केवल पारिवारिक और पारंपरिक उद्देश्यों के लिए ही किया जाए, और इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को बनाए रखा जाए।

हालांकि, इस फैसले से परिवार के कुछ सदस्य असंतुष्ट हो गए और उन्होंने इसे चुनौती देने का फैसला किया। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया, जहां इस विवाद को लेकर आगे की सुनवाई और निर्णय की प्रक्रिया शुरू हुई। हाईकोर्ट में इस मामले का नया पहलू सामने आया और इसमें कुछ और कानूनी दावों पर विचार किया गया, जो इस संपत्ति विवाद को और जटिल बनाते हैं।

यह पूरा मामला न केवल मेवाड़ परिवार के लिए बल्कि उदयपुर और मेवाड़ क्षेत्र के इतिहास के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संपत्ति न केवल एक निजी मुद्दा है, बल्कि क्षेत्रीय और सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ी हुई है।

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और संपत्ति विवाद

साल 2022 में राजस्थान हाईकोर्ट ने उदयपुर की जिला अदालत के फैसले पर रोक लगा दी, जिससे अरविंद सिंह मेवाड़ को बड़ी राहत मिली। जिला अदालत ने 2020 में यह निर्णय लिया था कि शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर जैसी संपत्तियों का बंटवारा किया जाएगा, लेकिन हाईकोर्ट ने इस फैसले को स्थगित कर दिया।

हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक इस मामले का अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक इन तीनों संपत्तियों पर अरविंद सिंह मेवाड़ का ही नियंत्रण रहेगा। इसका मतलब यह था कि इस फैसले के बाद, महेंद्र सिंह मेवाड़ और उनके छोटे भाई अरविंद सिंह के बीच संपत्ति पर अधिकार को लेकर विवाद और गहरा हो गया।

महेंद्र सिंह मेवाड़ का एक बेटा है, विश्वराज सिंह मेवाड़, जो वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में नाथद्वारा से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक हैं। विश्वराज सिंह का यह राजनीति में सक्रिय होना, राजपरिवार के विवादों में एक नया आयाम जोड़ता है, क्योंकि उनका यह सार्वजनिक जीवन और पार्टी के प्रति निष्ठा परिवार के अंदर चल रहे पारिवारिक विवादों को और अधिक जटिल बना सकता है।

वहीं, अरविंद सिंह मेवाड़ और उनका परिवार वर्तमान में उदयपुर के प्रसिद्ध सिटी पैलेस में रहते हैं। सिटी पैलेस मेवाड़ के शाही परिवार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह परिवार की ऐतिहासिक संपत्तियों में से एक है। अरविंद सिंह और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का सिटी पैलेस में निवास इस विवाद को और अधिक सुर्खियों में ले आता है। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भी इस राजपरिवार का हिस्सा हैं, और उनकी भूमिका और आने वाले समय में उनकी संपत्तियों के बारे में निर्णय इस पारिवारिक विवाद का एक और बड़ा पहलू बन सकता है।

यह पूरा विवाद मेवाड़ परिवार की संपत्तियों के बारे में चल रहे कानूनी संघर्ष को और अधिक बढ़ा रहा है, और इन संपत्तियों को लेकर परिवार के विभिन्न सदस्य अलग-अलग विचार रखते हैं। यह लड़ाई सिर्फ एक संपत्ति विवाद नहीं, बल्कि परिवार की शाही धरोहर, प्रतिष्ठा और राजनीतिक प्रभाव के संघर्ष का हिस्सा बन चुकी है।

यह भी पढ़ें:

Share This Article
Leave a comment