Electric Highway : इस समय देश में मोदी सरकार लगातार बेहतर कार्य करते हुए देखी जा सकती है। इसी कड़ी में अब देश में कई बेहतर हाईवे भी बनते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार दिल्ली से जयपुर के बीच में अब देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने पर विचार कर रही है जो की, पूरी तरह से इलेक्ट्रिक रूप से संचालित होगा।
देश का पहला Electric Highway
आपको बता दे की, 200 किलोमीटर लंबा हाईवे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के साथ ही एक नई लाइन पर बनाया जाना है, जिसके लिए सरकार इस समय तैयारी कर रही है। हाल ही के महीना में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राज्य मार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा इस खबर की घोषणा की गई है।
उन्होंने बताया है कि, इस समय सरकार आर्थिक रूप से व्यावहारिक होने के कारण इलेक्ट्रिक हाईवे को विकसित करने पर काम कर रही है और दिल्ली जयपुर के बीच भारत का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे भी बनने वाला है। यह हाईवे करीब 200 किलोमीटर लंबा होगा और इस हाइवे को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के साथ ही एक नई लाइन पर बनाया जाने वाला है।
Benefits of Electric Highway
इलेक्ट्रिक हाईवे के कई सारे फायदे (Benefits of electric highway) होते हैं, इसमें वाहनों की आवाजाहि पर आने वाले खर्च में कमी होती है। इसके साथ ही लॉजिस्टिक लागत में 70 फ़ीसदी की कमी आती है। फिलहाल ट्रांसपोर्टेशन लागत काफी ज्यादा होती है, जिससे की चीजों के दाम भी बढ़ते हैं। ऐसे में इन सभी चीजों में काफी ज्यादा फायदा भी मिलेगा। इसके साथ ही यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली होगा।
यह गाड़ियां चलेगी हाईवे पर –
इस हाईवे के बारे में बताये तो, इस समय जर्मनी जैसे देशों में इनका इस्तेमाल माल वाहन के लिए ही किया जाता है। निजी वाहन इलेक्ट्रिसिटी से चलती हैं, लेकिन इन्हें बैटरी की मदद से चलाया जाता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक हाईवे पर बड़े वाहन, ट्रक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलते है। वही निजी वाहनों की सुविधा के लिए इस हाईवे पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर चार्जिंग स्टेशन बनाया जाएगा, जहां वह अपनी गाडियों को चार्ज कर सकते है।
कैसे बनता है इलेक्ट्रिक हाईवे?
इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने के लिए आह दुनियाभर में अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती हैं, जिसमें पेंटोग्राफ मॉडल, कंडक्शन मॉडल और इंडक्शन मॉडल जेसी टेक्नोलॉजी शामिल हैं। पेंटोग्राफ मॉडल में सड़क के ऊपर तार लगाया जाता है, जेसा इस समय ट्रेन में होता है। एक पेंटोग्राफ के जरिए इस बिजली को वाहन में सप्लाई किया जाता है। यह वाहन में लगी बैटरी को चार्ज करती है। इस हाईवे को बनाने के लिए इस समय सरकार स्वीडन की कंपनियों से बात कर रही है। माना जा रहा है कि स्वीडन वाली टेक्नोलॉजी ही भारत में भी अपनाई जाएगी।