पैदा होते ही बच्चे क्यों रोने लगते हैं, बच्चे क्यों रोते है?
जब बच्चे पैदा होते हैं तो लोगों के जीवन में खुशहाली आती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चे पैदा होते ही क्यों रोने लगते हैं और लगातार क्यों रोते रहते हैं ? इसका एक खास कारण है कि बच्चा जब पैदा होता है तो बिना अनुभव किए जाने वाले वातावरण से प्रवेश करता है इसके साथ ही उनके शरीर के अंगों को सक्रिय करने के लिए ऑक्सीजन , पोषक तत्व और तापमान की आवश्यकता भी होती है रोना इस आवश्यकता को प्रकट करने का एक खास तरीका है।
एक अन्य हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चे नए वातावरण में आकर मैं अनुभव प्राप्त करते हैं इसे व्यक्त करने का खास तरीका है रोना। ध्यान देने योग्य बातें हैं कि बच्चे रोते हुए अपने आवश्यकताओं को जाहिर करते हैं जैसे ठंड ,गर्मी, भूख, प्यास खुशी, दुख, दर्द आदि। नवजात बच्चों का ध्यान समय पर संकुचित होता रहता है इसलिए वे रोते रहते हैं।
बच्चों के रोने के कारण :-
भूख लगने पर भी बच्चे रोने लगते हैं और उन्हें दूध पिलाने पर वह चुप हो जाते हैं जन्म के बाद 3 महीने तक बच्चों को हर घंटे में भूख लगती है और जब भूख लगती है तो वह धीमी आवाज में रोना शुरू कर देते हैं। 6 महीने के होने के बाद बच्चे खुद ही सोना सीख जाते हैं।
बच्चों के स्वस्थ रहने के कारण :-
यह भी माना जाता है कि दिन में 2 से 3 घंटे रोना जरूरी है कई जगह पर बच्चों का रोना शुभ माना जाता है क्योंकि बच्चे के रोने से उनके जीवित और स्वस्थ होने का संकेत देता है। अगर बच्चा पैदा होते ही जोर से रोने लगे तो समझ लेना कि वह बिल्कुल स्वस्थ है और अगर धीमी गति में रोए तो उनको स्वास्थ्य संबंधित कुछ परेशानियां हो सकती हैं।
असंतुलित होने से भी बच्चे रोने लगते हैं –
कई बार बच्चे असंतुलित होने से भी रोने लगते हैं जैसे कि बुखार, दर्द जैसे कई कारणों की वजह से भी रोने लगते हैं। किसी चीज की आवश्यकता के कारण असंतुलित होने पर भी बच्चे रोने लगते हैं। बच्चों का रोना ध्यान आकर्षित करना और उनके आवश्यकता को पूरी करने के लिए माता-पिता को अलर्ट करने का भी एक तरीका है।
विकासात्मक प्रकिया –
रोने की प्रक्रिया समय के साथ साथ कम हो लगती है, क्योंकि जब बच्चे विकास करते हैं और भाषा और सामाजिक कौशलों को सीखते हैं, तो वे रोने के साथ-साथ अन्य तरीकों से अपनी आवश्यकताओं को व्यक्त करने के लिए भी संपर्क करना सीखते हैं. यह एक सामान्य विकासात्मक प्रक्रिया है और अधिकांश बच्चे इसे जल्दी ही सीख जाते हैं।