crossorigin="anonymous">

मेघनाथ का जन्म होने वाला था तब उसने सभी ग्रहों को मेघनाथ के 11वें घर में रहने का आदेश दिया आइये विस्तार से जानिए

pgsnews
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

मेघनाथ का जन्म होने वाला था तब उसने सभी ग्रहों को मेघनाथ के 11वें घर में रहने का आदेश दिया आइये विस्तार से जानिए

मेघनाथ/ इंद्रजीत

रावण पुत्र मेघनाथ विश्व का सबसे शक्तिशाली योद्धा था। उसकी शक्ति का लोहा भगवान श्रीराम भी मानते थे व रामायण में भी इसका उल्लेख किया गया है। वाल्मीकि रामायण में उसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा बतलाया गया हैं। उसके जन्म से लेकर ही चमत्कारिक बाते जुड़ी हुई हैं जो उसकी मृत्यु तक चलती हैं।

मेघनाथ के जीवन से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

रावण ज्योतिष विद्या का बहुत बड़ा ज्ञाता था व सभी ग्रह-नक्षत्र उसके अधीन थे। जब उसके पुत्र मेघनाथ का जन्म होने वाला था तब उसने सभी ग्रहों को मेघनाथ के 11वें घर में रहने का आदेश दिया ताकि यह उसके लिए शुभ रहे किंतु अंतिम समय में शनि देव ने अपनी स्थिति 11वें घर से बदलकर 12वें घर में कर ली थी। यही आगे चलकर मेघनाथ की मृत्यु का कारण बना।

जब मेघनाथ ने जन्म लिया था तब वह सामान्य बच्चों की तरह रोया नही था अपितु उसने एक जोरदार दहाड़ मारी थी। उसकी यह गर्जना किसी बादल/ मेघ के फटने के समान तेज थी जिससे प्रसन्न होकर रावण ने उसका नाम मेघनाद रखा अर्थात जो बादलों का भी स्वामी हो।

जब मेघनाथ बड़ा हुआ तब उसने असुरों के गुरु शुक्राचार्य के साथ मिलकर सात महायज्ञों का अनुष्ठान किया था जिसमे उसे त्रिदेवों के सबसे महान अस्त्र ब्रह्मास्त्र, पाशुपाति अस्त्र व नारायण अस्त्र प्राप्त हुए थे। इन तीन अस्त्रों को पाकर वह अपने पिता रावण से भी अत्यधिक शक्तिशाली बन गया था।

एक बार रावण को इंद्र देव ने बंधक बना लिया था तब मेघनाथ ने देवताओं के साथ युद्ध करके अपने पिता को मुक्त करवाया। साथ ही वह इंद्र को परास्त करके उसे लंका ले आया व कारावास में डाल दिया। इससे प्रसन्न होकर स्वयं भगवान ब्रह्मा ने मेघनाथ को इंद्रजीत की उपाधि दी अर्थात जो इंद्र को भी जीत सके।

भगवान ब्रह्मा से मेघनाथ को एक वर प्राप्त हुआ था जिसके अनुसार यदि वह किसी भी युद्ध में जाने से पहले अपनी कुलदेवी निकुंबला के मंदिर में जाकर यज्ञ पूर्ण कर लेगा तो उसे युद्ध में कोई भी नही हरा पायेगा व उसकी हमेशा विजय होगी।

इस वर को देने के पश्चात भगवान ब्रह्मा ने यह भी बताया था कि जो भी उसके इस यज्ञ को बीच में ही ध्वस्त कर देगा तो उसी मनुष्य के हाथों मेघनाथ की मृत्यु होगी। राम-रावण युद्ध के समय लक्ष्मण ने मेघनाथ का यह यज्ञ ध्वस्त किया था जिस कारण उसकी मृत्यु भी लक्ष्मण के हाथों ही हुई।

मेघनाथ ही ऐसा महारथी था जिसने स्वयं नारायण रूप श्रीराम व लक्ष्मण को अपने नागपाश अस्त्र में बांधकर शत्रु सेना में हाहाकार मचा दिया था। इस नागपाश अस्त्र का प्रभाव इतना भीषण था कि पूरी वानर सेना ने उनके जीवित होने की आस छोड़ दी थी किंतु गरुड़ देवता की सहायता से यह विपत्ति टल गयी थी।

मेघनाथ ने ही लक्ष्मण को भ्रमित कर पीठ पीछे उन पर शक्तिबाण छोड़ दिया था जिस कारण वे मुर्छित होकर धरती पर गिर गए थे। इसके बाद हनुमान जी द्वारा लायी गयी संजीवनी बूटी की सहायता से उनके प्राण बच पाए थे।

मेघनाथ पितृ भक्त था व उसने हमेशा रावण का सीता के अपहरण व श्रीराम से युद्ध में उनका साथ दिया था। किंतु जब अंतिम दिन युद्ध करते समय उसे श्रीराम व लक्ष्मण के नारायण रूप होने का ज्ञात हो गया तो वह उसी समय रावण के पास पहुंचा व उसे समझाने का प्रयत्न किया किंतु रावण के ना मानने पर वह फिर से युद्ध करने गया।

स्वयं भगवान श्रीराम भी मेघनाथ का वध करने में सक्षम नही थे तभी उन्होंने लक्ष्मण को ही हर बार मेघनाथ से युद्ध करने भेजा। लक्ष्मण के द्वारा 14 वर्षो तक किये गये ब्रह्मचर्य के पालन, नींद नही लेना व योग साधना के फलस्वरूप ही वह मेघनाथ का वध कर पाए थे।

 

यह भी पढ़े :

वास्तु शास्त्र : आपके घर में पौधे लगे हुए हैं तो आप इन्हें अपने पास के मंदिर या मैदान में लगा दें जरूर पढ़िए पेड़-पौधों को घर में लगाना शुभ

प्राणायाम कैसे करें, रोज प्राणायाम करने के फायदे, Pranayama Karne Ke Fayde रोज प्राणायाम करने का सही समय और तरीका

Share This Article
2 Comments