आईपीएस दिव्या तंवर का जीवन परिचय, कैसे सफलता प्राप्त की दिव्या तंवर ने ?
नमस्कार आज हमें इस ब्लॉग में जानेंगे कि आईपीएस दिव्या तंवर ने कैसे सफलता हासिल की और यह मुकाम हासिल करने के लिए उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा आज इस ब्लॉग में हम बात करेंगे आईपीएस दिव्या तंवर के जीवन परिचय के बारे में –
दिव्या तंवर का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ गांव निंबी में वर्ष 1997 में एक राजपूत परिवार में हुआ था। दिव्या एक बहुत ही साधारण और किस परिवार से ताल्लुक रखती है।
नाम – दिव्या तंवर
जन्म – 1997
यूपीएससी आटेम्प्टस – दो बार
धर्म – हिंदू
जाति – राजपूत
शौक – डांस, सिंगिंग और किताबें पढ़ना
उनके विवाहित जीवन की बात करें तो दिव्या तंवर अभी अविवाहित है।
उनके पिता का वर्ष 2011 में निधन हो गया था। दिव्या का एक छोटा सा परिवार है जिसमें उसकी मां और दो छोटे भाई बहन हैं। पिता के चले जाने के बाद घर की सारी जिम्मेदारीयो का बोझ दिव्या की मां और दिव्या के कंधों पर आ गया।दिव्या की मां दूसरों के खेतों में काम किया करती थी और दूसरों के घर-घर जाकर झाड़ू पोछा करती थी और दिव्या भी बच्चों को पढ़ाती थी
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दिव्या तंवर की शिक्षा की बात की जाए तो –
दिव्या की स्कूली शिक्षा महेंद्रगढ़ के निम्बी जिले के मन्नू हाई विद्यालय से पूरी की। पढ़ाई का बोझ मां पर ना पड़े इसलिए जवाहर नवोदय विद्यालय का एग्जाम पास कर उसमें एडमिशन लिया।दिव्या तंवर को सिविल सेवा की तैयारी में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा और अपने मेहनती प्रयासों से ही यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में 438 वीं रैंक हासिल की। दिया तंवर की मेहनत ने उसे आईपीएस अधिकारी बनने का मौका दिलाया।
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दिव्या तंवर का यूपीएससी संघर्ष-
दिव्या तंवर ने अपनी पढ़ाई के दौरान महत्वपूर्ण और महान अवसरो का सामना किया। दिव्या तंवर ने बीएससी पूरी करने के बाद यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की सेवा में अपनी आत्म समर्पण को दिखाने का निर्णय लिया। उनके सफर में उनको बहुत सी चुनौतियां का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने सफलता हासिल करने के लिए उन चुनौतियों का सामना किया।
उन्होंने शुरुआती दिनों में 4 से 5 घंटे पढ़ाई करने का निर्णय लिया और उनको धीरे-धीरे बढ़ते हुए 10 घंटे तक पढ़ने लगी। दिव्या तंवर का यूपीएससी संघर्ष हमें यही सिखाता है कि मेहनत और संघर्ष से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। दिव्या तंवर की है प्रेरणादायक कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना हो अगर मेहनत और द्रढ संकल्प हो तो हम सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।
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प्रथम प्रयास आईपीएस में –
दिव्या तिवारी की यह कहानी हमें सिखाती है कि हम अपनी मेहनत और संग्रह से किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। क्या तावरे अपने जीवन में कड़ी मेहनत, संघर्ष और निष्ठा के साथ यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2021 पहले प्रयास में ही 438वीं रैंक हासिल की। दिव्या तंवर जो की मात्रा 23 साल की उम्र में ही इस एग्जाम के लिए उत्साहित थी इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है |
कि हमारे जीवन में कितनी भी कठिन कठिनाइयां क्यों ना हो अगर हमारी मेहनत और संघर्ष सही दिशा में हो तो हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया की सफलता पाने के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती बस अपनी कड़ी मेहनत और लगातार संघर्ष की जरूरत होगी।
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दिव्या तंवर का दूसरा प्रयास आईएएस –
दिव्या तंवर ने एक बार फिर से अपना संघर्ष और मेहनत से आईएएस को दूसरे ही प्रयास में में सफलता प्राप्त की। उन्होंने यूपीएससी सीएससी 2022 में 105वीं रैंक हासिल की। जिससे उनका आईएएस अफसर का सपना पूरा हुआ। दोस्तों दिव्य तंवर की मेहनत और संघर्ष बहुत रंग लेकर आई है।
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दिव्या तंवर की सफलता की कुछ महत्वपूर्ण किताबें –
NCERT (6 से 12वीं तक)
– 10 साल के आईएएस प्रीलिम्स के पेपर
– आधुनिक भारत का इतिहास ( स्पेक्ट्रम)
– भारत की राजव्यवस्था (लक्ष्मीकान्थ)
– भारतीय अर्थव्यवस्था (रमेश सिंह)
– भूगोल (जीसी लेओंग)
– भारत का प्राचीन अतीत (राम शरण शर्मा)
– मध्यकालीन भारत (बिपिन चंद्र)
– CSAT (अरिहंत प्रकाशन)
– निबंध – 151 निबंध
– आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास
– गांधी जी के बाद का भारत
– भारत स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
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