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सोना चांदी व कीमती रत्नों पर भी लगेगा ई-वे बिल | क्या है यह ई-वे बिल ?

सोना चांदी व कीमती रत्नों पर भी लगेगा ई-वे बिल | क्या है यह ई-वे बिल ?

सोना-चांदी व कीमती रत्नों पर भी अब लगेगा ई-वे बिल

दो लाख या अधिक मूल्य के धातु पर लागू होगा नियम

क्या है ई-वे बिल

ई-वे बिल, एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक बिल है जो कंप्यूटर पर बनता है. GST सिस्टम के तहत किसी भी सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजने के लिए उस सामान का ऑनलाइन बिल तैयार किया जाता है. यह बिल जीएसटी पोर्टल पर दर्ज हो जाता है.सरल शब्दों में समझा जाए तो इसी ऑनलाइन बिल को ई-वे बिल कहा जाता है.

यह बिल 50,000 रुपये या उससे अधिक मूल्य के सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने के लिए ज़रूरी है.माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 68 के तहत, माल की आवाजाही शुरू होने से पहले पंजीकृत लोगों या ट्रांसपोर्टरों द्वारा एक ई-वे बिल तैयार किया जाना चाहिए.

सोना-चांदी व कीमती रत्न भी पहली बार ई-वे बिल के दायरे में आ गए हैं। अब दो लाख रुपये या अन्य कीमती रत्न प्रदेश के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने पर ई-वे’ बिल जनरेट करना होगा।

प्रत्येक राज्य के राज्य कर आयुक्त को ये अधिकार दिए गए हैं कि जिस तारीख से वह आदेश जारी करेंगे, उस राज्य में उसी तारीख से ई-वे बिल बनाना अनिवार्य हो जाएगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इस पहल का मकसद सोना-चांदी की तस्करी पर रोक लगाना है।

जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठकों में कीमती धातुओं के परिवहन पर ई-वे बिल लागू करने का प्रस्ताव कई राज्यों ने दिया था। अब इस पर मुहर लगा दी गई है। राज्य अपनी सुविधानुसार इसको अधिसूचना के मुताबिक पंजीकृत ज्वैलरी कारोबारियों को इससे ज्यादा कीमत के सोना-चांदी व राज्य के अंदर दो लाख रुपये से ज्यादा गहनों की बिक्री, स्टॉक ट्रांसफर या रिपेयरिंग के लिए ई-वे बिल डाउनलोड करना होगा। अपंजीकृत व्यापारी से खरीद-फरोख्त पर भी इसे जारी करना होगा।

■ सीमा शुल्क बंदरगाह, हवाई अड्डे, एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स, सीमा शुल्क स्टेशन से कंटेनर डिपो या कंटेनर फ्रेट स्टेशन में यह नियम नहीं लगेगा। कोरियर या ई-कॉमर्स ऑपरेटर के जरिये सोना- चांदी-रत्न भेजने पर विशेष नंबर जनरेट किया जाएगा। साथ ही ई-वे बिल भी जनरेट करना होगा।

सुरक्षा के लिए वाहन की जानकारी गोपनीय ई-वे बिल का फॉर्म दो हिस्सों में होता है। पार्ट-ए में माल की जानकारी, वजन व कीमत आदि होती है। पार्ट-बी में वाहन संख्या, पहचान व दूरी का विवरण भरा जाता है। ज्वैलरी की सुरक्षा को देखते हुए बिल का केवल पार्ट-ए भरना होगा। पार्ट-बी को इससे मुक्त किया गया है।

लागू करेंगे। माना जा रहा है कि एक अक्तूबर से नया नियम लागू हो जाएगा। ब्यूरो

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