अगर लोन की EMI से हो गए हैं परेशान, तो अपनाएं ये Easy तरीका – सिर्फ एक Decision से घटेगी Interest Rate, और होगी लाखों की Saving
जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट में कटौती करता है, तो इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है, और जब यह दर घटती है, तो बैंकों की उधारी लागत भी कम हो जाती है। इसका लाभ वे अपने ग्राहकों को देते हैं, यानी बैंक विभिन्न तरह के लोन जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन आदि पर ब्याज दरें घटा देते हैं। इससे कर्ज लेना पहले की तुलना में सस्ता हो जाता है।
इस प्रक्रिया को लोन ट्रांसफर या बैलेंस ट्रांसफर कहा जाता है। इसका मतलब है कि आप अपने मौजूदा लोन को किसी ऐसे बैंक या वित्तीय संस्था में ट्रांसफर कर सकते हैं जो कम ब्याज दर पर लोन देने की सुविधा दे रहा हो। ऐसा करने से आपकी मासिक किस्त (EMI) भी घट सकती है और कुल पुनर्भुगतान राशि में भी भारी कमी आ सकती है। यह तरीका न केवल आपकी जेब पर बोझ कम करता है, बल्कि वित्तीय रूप से अधिक समझदारी भरा निर्णय भी साबित हो सकता है।
जान लीजिए कि आगे क्या करना है
अगर आप समय पर अपनी ईएमआई का भुगतान करते हैं और आपका सिबिल स्कोर भी अच्छा है, तो आपको अपने बैंक से संपर्क करके लोन की ब्याज दर को कम करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि बैंक आपकी बात नहीं मानता, तो आप लोन रीफाइनेंस करवा सकते हैं यानी किसी अन्य बैंक से कम ब्याज दर पर लोन लेकर पुराने लोन को चुका सकते हैं, जिससे आपके ब्याज का बोझ कम हो जाएगा।
लोन रीफाइनेंसिंग किसे कहते हैं?
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कम ब्याज दर पर नया लोन लेकर पुराने लोन को रीफाइनेंस करें और बचत पाएं
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बेहतर क्रेडिट स्कोर वालों को मिल सकता है सस्ते ब्याज वाला नया लोन
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पुराना लोन चुकाएं, नया लोन पाएं – कम ब्याज दरों के साथ स्मार्ट रीफाइनेंसिंग
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लो इंटरेस्ट रेट में लोन ट्रांसफर करें और EMI में राहत पाएं
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लोन रीफाइनेंसिंग: बेहतर शर्तों पर नया लोन लेकर पुराना कर्ज उतारें
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क्रेडिट स्कोर अच्छा है? तो सस्ता लोन ऑफर कर सकते हैं दूसरे बैंक
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रीफाइनेंसिंग से घटाएं EMI, उठाएं कम ब्याज दर का लाभ
मासिक भुगतान घट जाता है
रीफाइनेंसिंग का एक प्रमुख लाभ यह है कि जब भी बाजार में ब्याज दरों में गिरावट आती है, तो आप अपने मौजूदा लोन को कम ब्याज दर पर दोबारा फाइनेंस करवा सकते हैं। इससे आपकी हर महीने चुकाई जाने वाली ईएमआई यानी मासिक किस्त पहले की तुलना में कम हो जाती है। EMI कम होने से आपकी मासिक आय पर दबाव घटता है और आपको अपनी बाकी जरूरतों या बचत की योजनाओं में आसानी होती है। इस तरह, रीफाइनेंसिंग आपको आर्थिक रूप से थोड़ी राहत और बेहतर प्रबंधन का मौका देती है।
लोन की अवधि को अपनी आवश्यकता के अनुसार तय किया जा सकता है।
जब आप लोन को रीफाइनेंस करवाते हैं, तो आपको अपने मौजूदा लोन को नए शर्तों के साथ दोबारा व्यवस्थित करने यानी लोन रीस्ट्रक्चरिंग का अवसर मिलता है। इस प्रक्रिया में आप एक नया लोन लेते हैं, जिसमें आपको अपनी सुविधा और भुगतान क्षमता के अनुसार ईएमआई की अवधि (टेन्योर) को कम या ज्यादा करने का विकल्प मिलता है। यदि आप कम ब्याज दर वाले विकल्प के साथ नया लोन लेते हैं और साथ ही लोन की अवधि को भी घटा देते हैं, तो इससे आप लोन पर लगने वाले कुल ब्याज में बड़ी बचत कर सकते हैं — जो कि लंबे समय में लाखों रुपये तक हो सकती है।
किन हालात में लोन रीफाइनेंस करना चाहिए?
अगर किसी दूसरे बैंक से आपको कम ब्याज दर पर लोन मिलने का मौका मिल रहा हो, तो लोन रीफाइनेंस करने का यह सही समय हो सकता है।
इसके अलावा, अगर आपने फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर लोन लिया था और बाद में बाजार में ब्याज दरें घटने लगीं, लेकिन आपका बैंक फ्लोटिंग रेट में बदलने की अनुमति नहीं दे रहा है, तब भी आप दूसरे बैंक से लोन लेकर पुराने लोन को चुकता कर सकते हैं।इसके साथ ही, अगर आपकी EMI मौजूदा समय में बहुत ज्यादा है और आप उसे कम करना चाहते हैं, तो लोन की रीस्ट्रक्चरिंग या रीफाइनेंसिंग एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
लोन ट्रांसफर का फैसला लेने से पहले ध्यान में रखें ये जरूरी खर्च:
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मौजूदा बैंक में फोरक्लोज़र चार्ज – लोन को समय से पहले बंद करने पर बैंक कुछ अतिरिक्त शुल्क वसूल सकता है।
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नए बैंक में प्रोसेसिंग फीस – नया लोन शुरू करने पर आमतौर पर प्रोसेसिंग शुल्क देना होता है।
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स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान – लोन एग्रीमेंट की कानूनी प्रक्रिया के लिए स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है।
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अन्य संबंधित शुल्क – जैसे लॉजिंग फीस, तकनीकी मूल्यांकन शुल्क, और डॉक्युमेंटेशन चार्ज आदि भी लग सकते हैं।
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